रेमेश सिप्पी का निर्देशन और सहायक निर्देशक की भूमिका
शोले: एक अनोखी झलक और नई जानकारियाँ: (1975) भारतीय सिनेमा की एक ऐसी फिल्म है, जिसने दर्शकों के दिलों में एक खास स्थान बनाया। हाल ही में, अभिनेता-निर्देशक सचिन पिलगांवकर ने इस फिल्म से जुड़ी कुछ अनकही कहानियाँ साझा की हैं। उन्होंने बताया कि रेमेश सिप्पी सेट पर केवल अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और संजीव कुमार के लिए ही आते थे।
दूसरे यूनिट का संचालन
सचिन ने कहा कि रेमेशजी ने कुछ एक्शन सीन के लिए एक दूसरे यूनिट की स्थापना की थी, जिसमें अमजद खान और सचिन खुद शामिल थे। यह यूनिट मुख्य सितारों के बिना की गई छोटी-छोटी शॉट्स को संभालती थी। इसके लिए रेमेशजी ने प्रसिद्ध स्टंट फिल्म निर्देशक मोहम्मद अली को बुलाया था, जो अमजद और सचिन के साथ मिलकर काम करते थे।
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ट्रेन लूटने का सीन
सचिन ने उल्लेख किया कि ट्रेन लूटने का सीन बंबई-पूना रेलवे मार्ग पर बिना रेमेश सिप्पी की उपस्थिति में फिल्माया गया था। उन्होंने बताया कि रेमेशजी केवल तब आते थे जब मुख्य सितारे सेट पर होते थे, बाकी शॉट्स का काम सचिन और अमजद ने संभाला।
शोले का सांस्कृतिक प्रभाव
शोले न केवल एक सफल फिल्म थी, बल्कि इसने भारतीय सिनेमा के लिए एक मील का पत्थर भी स्थापित किया। फिल्म की कहानी, संवाद और अभिनय आज भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते हैं। सचिन की ये नई जानकारियाँ शोले के प्रति हमारे प्यार को और बढ़ा देती हैं और यह दिखाती हैं कि इस फिल्म की उत्पादन प्रक्रिया कितनी दिलचस्प थी।
शोले का ये सफर, जो 49 साल पहले शुरू हुआ, आज भी फिल्म प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा बना हुआ है।
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