अपने सफर पर चर्चा करते हुए बोले: “कोलकाता की संकरी गलियों से यहां तक पहुंचा”
मिथुन चक्रवर्ती को मिला दादासाहेब फाल्के पुरस्कार: दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद, अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी भावनाओं को साझा किया। उन्होंने कहा, “मैं शब्दों के लिए तरस गया हूँ। यह पुरस्कार मेरे परिवार और दुनियाभर के प्रशंसकों को समर्पित है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चक्रवर्ती की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई दी। मोदी ने लिखा, “श्री मिथुन चक्रवर्ती जी को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार मिलने पर खुशी हुई। वह एक सांस्कृतिक प्रतीक हैं और उनके कार्यों ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है।”
मिथुन चक्रवर्ती का प्रारंभिक जीवन
मिथुन चक्रवर्ती का जन्म 16 जून, 1950 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनका असली नाम गौतम चक्रवर्ती है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1976 में फिल्म “मृगया” से की, जिसमें उनके असाधारण अभिनय को काफी प्रशंसा मिली। यह फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली पहली फिल्म बनी, जिसने मिथुन को इंडस्ट्री में एक प्रतिभाशाली अभिनेता के रूप में स्थापित किया।
करियर का शिखर
1980 और 1990 के दशक में, मिथुन चक्रवर्ती ने कई सफल फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें “डिस्को डांसर“, “अग्निपथ”, “किस्मत” और “प्यार झुकता नहीं” शामिल हैं। *“डिस्को डांसर”* के साथ, उन्होंने भारतीय सिनेमा में एक नई शैली पेश की, जो युवाओं को पसंद आई और उन्हें अपार लोकप्रियता मिली। फिल्म के गाने, खासकर “आई एम ए डिस्को डांसर” आज भी लोकप्रिय हैं।
मिथुन का अभिनय न केवल व्यावसायिक रूप से सफल रहा, बल्कि उन्होंने अपने किरदारों के माध्यम से कई सामाजिक मुद्दों को भी संबोधित किया। उन्होंने एक अभिनेता के रूप में उल्लेखनीय बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, जो रोमांटिक, ड्रामा और एक्शन शैलियों के बीच सहजता से बदलाव करते रहे।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस पुरस्कार पर विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। बीजेपी के नेता सुकांत मजूमदार और तृणमूल कांग्रेस के नेता कunal घोष ने भी मिथुन की उपलब्धियों की सराहना की। घोष ने चुटकी लेते हुए चक्रवर्ती को उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि की याद दिलाई।
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पारिवारिक गर्व
मिथुन की बहू, मदालसा ने भी इस अवसर पर अपने गर्व का इजहार किया। उन्होंने कहा, “यह हमारे परिवार के लिए एक विशेष दिन है। पापा की मेहनत और उनकी विनम्रता हमें प्रेरित करती है।”अपने परिवार से मिले समर्थन और गर्व ने हमेशा मिथुन को उनके लक्ष्यों की ओर प्रेरित किया है।
पुरस्कार की महत्वता
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा में सबसे उच्च सम्मान है, जो 1969 में स्थापित किया गया था। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के विकास में अद्वितीय योगदान के लिए दिया जाता है।
मिथुन का social contribution
अपने फ़िल्मी करियर से परे, मिथुन चक्रवर्ती ने कई महत्वपूर्ण सामाजिक पहलों में भाग लिया है। वह अक्सर सामाजिक कारणों के लिए काम करते हैं और ज़रूरतमंदों की सहायता करते हैं। इस योगदान ने उन्हें न केवल एक अभिनेता के रूप में बल्कि एक सामाजिक नेता के रूप में भी स्थापित किया है।
16 जून, 1950 को कोलकाता में जन्मे मिथुन भारतीय सिनेमा में सबसे प्रतिष्ठित शख्सियतों में से एक हैं। उन्होंने 1980 और 1990 के दशक में “डिस्को डांसर” और “अग्निपथ” जैसी ब्लॉकबस्टर फ़िल्मों से प्रसिद्धि पाई, जहाँ उनके अनूठे नृत्य कौशल और दमदार अभिनय ने उन्हें दर्शकों के दिलों में एक ख़ास जगह दिलाई।
उनकी यात्रा फ़िल्म “मृगया” से शुरू हुई, जिसे आलोचकों की प्रशंसा मिली, लेकिन विभिन्न भूमिकाओं के माध्यम से दर्शकों से जुड़ने की उनकी क्षमता ने उन्हें एक सांस्कृतिक प्रतीक बना दिया। अपने फ़िल्मी करियर के साथ-साथ, मिथुन ने समाज के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है, अक्सर अपने मंच का उपयोग सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए करते हैं।
उनकी विविधता, करिश्मा और अपने काम के प्रति अटूट समर्पण ने उन्हें कई पुरस्कार दिलाए हैं, जिनमें तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और अब दादा साहब फाल्के पुरस्कार शामिल हैं, जो भारतीय सिनेमा पर उनके स्थायी प्रभाव को मान्यता देता है। मिथुन की कहानी सिर्फ़ सिनेमाई उपलब्धियों के बारे में नहीं है; यह दृढ़ता और उत्कृष्टता की खोज का प्रतीक है।
दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करना मिथुन चक्रवर्ती के लंबे और सफल करियर की एक और उपलब्धि है। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को दर्शाता है और साबित करता है कि सच्ची मेहनत और प्रतिभा किसी भी क्षेत्र में सफलता की ओर ले जा सकती है।
उनकी कहानी न केवल नए कलाकारों के लिए बल्कि उन सभी के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहते हैं। मिथुन चक्रवर्ती की यात्रा दर्शाती है कि सफलता का मार्ग कभी आसान नहीं होता, लेकिन जो लोग समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ दृढ़ रहते हैं, वे निश्चित रूप से अपनी मंजिल तक पहुँचते हैं।
निष्कर्ष
मिथुन चक्रवर्ती का दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होना उनके लंबे और सफल करियर की एक और उपलब्धि है, जो भारतीय सिनेमा के प्रति उनके योगदान को दर्शाता है।
T. Yuvraj Singh is a dedicated journalist passionate about delivering the latest news and insightful analysis. With a strong background in media, he aims to engage readers through accurate and thought-provoking stories. When not writing, Yuvraj enjoys reading and exploring global affairs. Follow him for fresh perspectives on current events.