Gensol Promoter ने EV Funds से DLF Camellias का लग्ज़री फ्लैट खरीदा – SEBI की बड़ी कार्रवाई
“EV Fund se Flat Kharida Scam!” DLF Camellias, जो गुरुग्राम के सेक्टर 42 में स्थित है, भारत के सबसे महंगे और अल्ट्रा-लक्ज़री रिहायशी प्रोजेक्ट्स में से एक माना जाता है। यहां के 4 BHK, 5 BHK और 6 BHK अपार्टमेंट्स की शुरुआती कीमत ही 70 करोड़ रुपये से शुरू होती है। अब यही प्रोजेक्ट एक बड़े फाइनेंशियल घोटाले का केंद्र बन गया है।

पूरा मामला क्या है?
SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने अपनी जांच में पाया कि Gensol Engineering के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी ने कंपनी के फंड्स का दुरुपयोग करते हुए DLF Camellias में एक महंगा फ्लैट खरीदा। यह पैसा EV (Electric Vehicles) की फाइनेंसिंग के लिए लिया गया था, लेकिन इसका इस्तेमाल एक पर्सनल रियल एस्टेट डील में कर लिया गया।
“EV Fund se Flat Kharida Scam!”
कैसे हुआ फंड्स का डायवर्जन?
Gensol ने IREDA (Indian Renewable Energy Development Agency) से 71.41 करोड़ रुपये का लोन लिया था, जिसे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए इस्तेमाल किया जाना था। इसके साथ कंपनी ने अपने अकाउंट से और 26 करोड़ रुपये मिलाकर कुल लगभग 97 करोड़ रुपये जमा किए।
फिर कुछ ही दिनों में यह पैसा Go-Auto नाम की एक कंपनी को ट्रांसफर कर दिया गया, जो Gensol और उसके प्रमोटर्स से जुड़ी हुई है। उसी दिन Go-Auto ने 50 करोड़ रुपये एक और कंपनी Capbridge Ventures को भेज दिए, जिसे अनमोल सिंह जग्गी और उनके भाई पुनीत सिंह जग्गी चलाते हैं।
Capbridge ने फिर 42.94 करोड़ रुपये DLF को फ्लैट की खरीदारी के लिए पेमेंट के तौर पर दिए।
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बुकिंग अमाउंट भी Gensol से जुड़ा था
SEBI की रिपोर्ट के अनुसार, फ्लैट की प्रारंभिक बुकिंग अमाउंट 5 करोड़ रुपये भी Gensol के फंड्स से ही दिया गया था। यह अमाउंट जस्मिंदर कौर (अनमोल सिंह जग्गी की मां) के नाम से दिया गया था। बाद में जब DLF ने यह पैसा वापस किया, तो वह भी Gensol को लौटाने की बजाय Matrix Gas and Renewables नाम की एक अन्य संबंधित कंपनी को भेज दिया गया।

इससे साफ है कि प्रमोटर्स ने कंपनी के फंड्स को अपना पर्सनल अकाउंट समझकर इस्तेमाल किया।
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SEBI की सख्त कार्रवाई
SEBI ने इस गंभीर गड़बड़ी को देखते हुए Gensol के प्रमोटर्स अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी के खिलाफ सख्त आदेश जारी किया है:
दोनों भाइयों को शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने से रोक दिया गया है।
उन्हें कंपनी में डायरेक्टर या किसी भी सीनियर पद पर बने रहने से भी बैन कर दिया गया है।
SEBI ने कहा कि “प्रमोटर्स एक लिस्टेड कंपनी को ऐसे चला रहे थे जैसे वह उनकी खुद की प्रॉपर्टी हो।”
कंपनी में आंतरिक वित्तीय निगरानी और गवर्नेंस की पूरी तरह से कमी पाई गई।
जांच कैसे शुरू हुई?
SEBI ने यह जांच तब शुरू की जब उसे Gensol के खिलाफ कई शिकायतें मिलीं, जिनमें शेयर की कीमतों में अचानक उतार-चढ़ाव और लोन डिफॉल्ट की बात सामने आई। जांच में कई और मामलों का खुलासा हुआ जिनमें:
- फर्जी डॉक्युमेंट्स,
- क्रेडिट एजेंसियों को गलत रिपोर्टिंग,
- फाइनेंशियल डिसिप्लिन की कमी।
SEBI के अन्य आदेश

SEBI ने Gensol को उसका प्रस्तावित stock split (शेयर विभाजन) रोकने का आदेश भी दिया है, ताकि छोटे निवेशकों को इस समय कंपनी में निवेश करने से रोका जा सके।
एक forensic auditor नियुक्त किया जाएगा, जो कंपनी की बही-खातों और सभी संबंधित कंपनियों के साथ हुए ट्रांजैक्शनों की गहन जांच करेगा।
Gensol और उसके प्रमोटर्स शेयर मार्केट में कोई नई खरीद या बिक्री नहीं कर सकते, सिर्फ पुराने ट्रेडिंग पोजीशंस को सीमित समय में क्लोज करने की अनुमति दी गई है।
“EV Fund se Flat Kharida Scam!”
निष्कर्ष
Gensol का यह मामला सिर्फ एक फ्लैट की खरीदारी का नहीं है, बल्कि एक लिस्टेड कंपनी में गवर्नेंस फेलियर और फंड्स के पर्सनल इस्तेमाल का उदाहरण है। SEBI की सख्ती यह दिखाती है कि अब कॉर्पोरेट फ्रॉड पर नकेल कसना शुरू हो गया है।
क्या आपको लगता है कि ऐसे मामलों में प्रमोटर्स को जेल भेजा जाना चाहिए? अपने विचार कमेंट करें।

T. Yuvraj Singh is a dedicated journalist passionate about delivering the latest news and insightful analysis. With a strong background in media, he aims to engage readers through accurate and thought-provoking stories. When not writing, Yuvraj enjoys reading and exploring global affairs. Follow him for fresh perspectives on current events.