एसमाइल कानी की सेहत को लेकर चिंताएं

by T. Yuvraj Singh & Factchecktimes Editors
Updated on 9 October 2024

ईरान के कुद्स फोर्स के कमांडर एसमाइल कानी के स्वास्थ्य के बारे में चिंताएं.

ईरान के कुद्स फोर्स के कमांडर एसमाइल कानी के स्वास्थ्य के बारे में चिंताएं

ईरान के कुद्स फोर्स के कमांडर एसमाइल कानी के स्वास्थ्य के बारे में चिंताएं: पिछले सप्ताह बेरूत में इस्राइली हमलों के बाद से ईरान के कुद्स फोर्स के कमांडर एसमाइल कानी के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। हालांकि, कुद्स फोर्स के डिप्टी कमांडर इराज मसजेदी ने कहा है कि कानी स्वस्थ हैं और अपनी गतिविधियों को जारी रखे हुए हैं।

इस्राइल के हमले और कानी की अनुपस्थिति

इस्राइल ने हिजबुल्लाह पर हमले तेज किए हैं, जिसमें कानी के ठिकाने को भी निशाना बनाया गया था। इस हमले में हिजबुल्लाह के वरिष्ठ अधिकारी हाशिम सफीद्दीन को भी निशाना बनाया गया था। कानी की अनुपस्थिति ने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है, खासकर जब से हिजबुल्लाह के नेता सय्यद हसन नसरल्लाह की हत्या हुई है।

कानी की भूमिका और ईरान की क्षेत्रीय रणनीति

कानी की भूमिका ईरान के सैन्य अभियानों में महत्वपूर्ण है, और उनकी अनुपस्थिति से ईरान की क्षेत्रीय रणनीति पर असर पड़ सकता है। ईरानी अधिकारियों ने अभी तक कानी की मौत की पुष्टि नहीं की है, लेकिन यदि यह सच होता है, तो ईरान के लिए यह एक बड़ा झटका होगा।

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इस्माइल कानी कौन है ?

इस्माइल कानी एक महत्वपूर्ण ईरानी सैन्य नेता हैं, जिन्हें 2020 में कासिम सुलेमानी की अमेरिकी हमले में हत्या के बाद कुद्स फोर्स का प्रमुख नियुक्त किया गया था। हालांकि, सुलेमानी की तरह उन्हें व्यापक सम्मान और प्रभाव नहीं मिला। कानी क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ उतने करीबी संबंध नहीं बना सके और उनके नेतृत्व में हिजबुल्लाह और इराकी मिलिशिया जैसे ईरानी प्रॉक्सी ग्रुप इजरायली बलों के दबाव का सामना कर रहे हैं, जबकि सुलेमानी के समय स्थिति उलट थी।

ईरान के कुद्स फोर्स के कमांडर एसमाइल कानी के स्वास्थ्य के बारे में चिंताएं
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कानी का जन्म मशहद, ईरान में हुआ। उन्होंने ईरान-इराक युद्ध में भाग लिया और 1997 में कुद्स फोर्स के उप-कमांडर बने। उनके पास अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अनुभव है, लेकिन वह सुलेमानी की तरह अरबी भाषा में पारंगत नहीं हैं। कानी गुप्त रूप से बैठकें करते हैं और ज्यादातर मामलों में पर्दे के पीछे रहकर काम करते हैं।

कानी का जीवन और कार्यकाल

एसमाइल कानी का जन्म 1957 में माशहद, ईरान में हुआ था। उन्होंने ईरान-इराक युद्ध के दौरान सैन्य सेवा में भाग लिया और इसके बाद ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कोर्प्स (आईआरजीसी) में शामिल हुए। उन्हें 1997 में कुद्स फोर्स का डिप्टी कमांडर नियुक्त किया गया था और बाद में जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद कुद्स फोर्स का कमांडर बनाया गया था।

क्षेत्रीय प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं

कानी की अनुपस्थिति से क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है और ईरान की क्षेत्रीय रणनीति पर असर पड़ सकता है। यह घटना मध्य पूर्व में सुरक्षा और राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकती है। ईरान और इस्राइल के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है, और यह घटना क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए खतरा हो सकती है।

ईरान के कुद्स फोर्स कमांडर इस्माइल कानी की रहस्यमयी गुमशुदगी

ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच, कुद्स फोर्स के कमांडर इस्माइल कानी की गुमशुदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद, ईरानी सेना ने अपनी आंतरिक जांच शुरू की है, जिसमें कानी की भूमिका भी शामिल है।

कानी की गुमशुदगी और ईरानी सेना की जांच

कानी पिछले कई दिनों से किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं दिखाई दिए हैं, जिससे उनकी सुरक्षा और जीवन को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। ईरानी सेना ने उन्हें अत्यधिक सुरक्षा वाली जगह पर रखा है, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है।

इज़राइल की घुसपैठ और ईरानी सेना की चिंताएं

ईरानी सेना यह जानने की कोशिश कर रही है कि इज़राइली इंटेलिजेंस ने उनकी सरकार, फौज और अन्य संगठनों में कितनी गहराई तक अपनी पैठ बनाई हुई है। हिज़बुल्लाह के नेताओं की हत्या के बाद, ईरान को शक है कि उनके किसी उच्च मिलिट्री अधिकारी ने धोखा किया है या इज़राइली इंटेलिजेंस के साथ मिल गया है।

ईरान के कुद्स फोर्स के कमांडर एसमाइल कानी के स्वास्थ्य के बारे में चिंताएं
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कानी की भूमिका और ईरानी सेना की जिम्मेदारी

कानी ईरान के विदेशी मिलिट्री ऑपरेशंस के मुखिया हैं, और उनकी गुमशुदगी ने ईरानी सेना की जिम्मेदारी को बढ़ा दिया है। ईरानी सेना को यह पता लगाने की जरूरत है कि कानी की गुमशुदगी के पीछे क्या कारण है और इज़राइली इंटेलिजेंस की घुसपैठ को रोकने के लिए क्या कदम उठाने होंगे।

कुद्स फोर्स: ईरान की इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की एलिट क्लैंडेस्टाइन विंग

परिचय:
कुद्स फोर्स ईरान की इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की एलिट क्लैंडेस्टाइन विंग है जिसका मुख्य उद्देश्य विदेश में ईरान के हितों की रक्षा करना है।

स्थापना:
1979 में ईरान की इस्लामिक क्रांति के बाद।

मुख्य उद्देश्य:
विदेश में ईरान के हितों की रक्षा।

कार्य क्षेत्र:
लेबनान, इराक, सीरिया, यमन।

महत्वपूर्ण नेता:
कासिम सुलेमानी (शहीद)।

सैन्य शक्ति:
एलिट कमांडो फोर्स।

अंतरराष्ट्रीय संबंध:
ईरान, सीरिया, लेबनान, इराक, यमन।

आर्थिक प्रभाव:
ईरान की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान।

कुद्स फोर्स की महत्वपूर्ण गतिविधियाँ:

  • लेबनान के गृहयुद्ध में सक्रिय।
  • इराक में शिया मिलिशिया के साथ संघर्ष।
  • सीरिया में बशार अल-असाद के साथ संघर्ष।
  • यमन में हाउथी आंदोलन के साथ संघर्ष।

कुद्स फोर्स के महत्वपूर्ण ऑपरेशन:

  • ऑपरेशन नजफ (2003)।
  • ऑपरेशन बगदाद (2006)।
  • ऑपरेशन दमिश्क (2012)।

कुद्स फोर्स की विशेषताएँ:

  • एलिट कमांडो फोर्स।
  • विदेश में ईरान के हितों की रक्षा।
  • शिया मिलिशिया के साथ संघर्ष।

कुद्स फोर्स का समर्थन:

  • ईरान सरकार।
  • शिया मिलिशिया।

कुद्स फोर्स का विरोध:

  • इस्राइल।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका।
  • सऊदी अरब।

निष्कर्ष

इस्माइल कानी की गुमशुदगी ने ईरान और इज़राइल के बीच तनाव को बढ़ा दिया है, और ईरानी सेना को अपनी आंतरिक जांच में तेजी लानी होगी। कानी की सुरक्षा और जीवन को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, और ईरानी सेना को यह पता लगाने की जरूरत है कि कानी की गुमशुदगी के पीछे क्या कारण है।

एसमाइल कानी की अनुपस्थिति ने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है, और ईरान की क्षेत्रीय रणनीति पर असर पड़ सकता है। ईरानी अधिकारियों ने अभी तक कानी की मौत की पुष्टि नहीं की है, लेकिन यदि यह सच होता है, तो ईरान के लिए यह एक बड़ा झटका होगा। मध्य पूर्व में सुरक्षा और राजनीतिक स्थिति पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

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