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विश्व स्तर पर फैक्टचेकिंग को नया बल: 15 देशों के 20 संगठनों को मिला $2 मिलियन का अनुदान

IFCN ने 15 देशों के 20 फैक्ट-चेकिंग संगठनों को $2 मिलियन दिए। भारत की 4 परियोजनाएं भी शामिल। जानिए पूरी रिपोर्ट और वैश्विक पहलें।

india ka bada role world fact checking me आज की डिजिटल दुनिया में गलत सूचना (Misinformation) और फर्जी खबरें (Fake News) तेजी से फैल रही हैं। इनसे निपटने के लिए सिर्फ सरकारों की ही नहीं, बल्कि स्वतंत्र संगठनों और मीडिया संस्थानों की भी बड़ी भूमिका बनती है। इस दिशा में एक सकारात्मक कदम हाल ही में इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN) ने उठाया है।

क्या है यह पहल?

इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN), जो कि पॉयंटर इंस्टीट्यूट (Poynter Institute) का हिस्सा है, ने जनवरी 2025 में “Global Fact Check Fund” के तहत 15 देशों के 20 फैक्ट-चेकिंग संगठनों को कुल $2 मिलियन (लगभग ₹16.6 करोड़) की सहायता प्रदान की है। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर गलत सूचना से निपटने के लिए नवाचार (Innovation), स्थानीय परियोजनाओं और तकनीक आधारित समाधानों को बढ़ावा देना है।

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भारत से चयनित प्रमुख परियोजनाएं

भारत के 4 प्रतिष्ठित फैक्ट-चेकिंग संगठनों को इस फंड से सहायता मिली है। हर एक की परियोजना अनोखी है और किसी न किसी रूप में आम नागरिकों के हित में है:

  1. The Quint – “My Report”

The Quint की यह पहल नागरिकों को केंद्र में रखती है। इसके अंतर्गत एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म विकसित किया गया है जहां कोई भी व्यक्ति अपने साथ हुई वित्तीय धोखाधड़ी (Financial Fraud) या साइबर क्राइम की रिपोर्ट कर सकता है।
इसका उद्देश्य है –

डिजिटल फ्रॉड के प्रति लोगों में जागरूकता लाना।

ऐसी घटनाओं को रिकॉर्ड करके पैटर्न बनाना।

सच्चे मामलों की जाँच कर उन्हें सार्वजनिक मंच पर लाना।

इस पहल का खास फोकस छोटे शहरों और कस्बों के उन लोगों पर है जो अक्सर ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होते हैं लेकिन शिकायत नहीं कर पाते।

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  1. Factly – “Dataful AI”

Factly भारत का जाना-माना डेटा जर्नलिज़्म पोर्टल है। उनकी नई परियोजना ‘Dataful AI’ एक ऐसा AI टूल है जो भारत सरकार के 16,000 से अधिक Public Datasets को आसानी से खोजने और उपयोग करने योग्य बनाता है।
यह टूल खासकर –

  • पत्रकारों,
  • छात्रों,
  • शोधकर्ताओं और

फैक्ट-चेकिंग संस्थानों
के लिए बेहद उपयोगी है।

यह टूल न सिर्फ डेटा खोजने में मदद करता है बल्कि उसे समझने और विज़ुअल रूप में प्रस्तुत करने की सुविधा भी देता है।

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  1. India Today – “Project Shield”

India Today Group की यह परियोजना ‘Project Shield’ उन क्षेत्रों में कार्य करती है जहां डिजिटल धोखाधड़ी तेजी से बढ़ रही है। इसका उद्देश्य है –

  • मल्टी-लैंग्विज अवेयरनेस कैंपेन (हिंदी, मराठी, बंगाली आदि में)।
  • ऑनलाइन ठगी से बचाव की जानकारी।
  • आम जनता तक सटीक और समझने लायक कंटेंट पहुंचाना।

इस प्रोजेक्ट में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और Youtubers को भी शामिल किया गया है ताकि ज्यादा लोगों तक जानकारी पहुंचे।

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  1. The Healthy Indian Project (THIP)

यह संस्था स्वास्थ्य संबंधित अफवाहों और झूठे दावों से निपटने का काम करती है।
उनकी इस नई परियोजना में –

  • सह-रुग्णताओं (जैसे डायबिटीज, हार्ट डिजीज) से पीड़ित लोगों के लिए खास वीडियो बनाए जा रहे हैं।
  • सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले “नींबू से कैंसर ठीक करें” जैसी झूठी सलाहों का खंडन किया जा रहा है।
  • डॉक्टरों और मेडिकल एक्सपर्ट्स की मदद से असली जानकारी साझा की जा रही है।

अन्य वैश्विक पहलें – दुनिया भर में फैक्टचेकिंग की लहर

भारत के अलावा दुनिया के अन्य हिस्सों में भी कई प्रभावशाली और दिलचस्प परियोजनाएं इस अनुदान के तहत शुरू हुई हैं:

  1. Lead Stories (अमेरिका):

नए प्लेटफ़ॉर्म Bluesky पर फैक्ट-चेकिंग टैग्स की शुरुआत की गई है जिससे यूज़र्स को रीयलटाइम में जानकारी का सत्यापन मिल सके।

  1. Full Fact (यूके):

ब्रिटेन में TikTok और Instagram पर छोटे वीडियो के जरिए युवाओं को गलत सूचना के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

  1. Annie Lab (हांगकांग):

पूरे एशिया-ओशिनिया क्षेत्र में फैक्ट-चेकिंग संगठनों को जोड़ने और एक प्लेटफ़ॉर्म पर लाने की कोशिश हो रही है।

  1. Fact Space West Africa (घाना):

यहाँ WhatsApp चैटबॉट के ज़रिए अफवाहों का खंडन किया जा रहा है और लोगों को व्हाट्सएप पर ही सही जानकारी मिल रही है।

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फैक्ट-चेकिंग क्यों जरूरी है?

  • लोकतंत्र की रक्षा: गलत सूचना अक्सर चुनावों को प्रभावित करती है।
  • सामाजिक सद्भाव बनाए रखना: अफवाहें दंगे और हिंसा को जन्म दे सकती हैं।
  • डिजिटल सुरक्षा: साइबर ठगी और फर्जी स्कीमों से बचाने में फैक्ट-चेकिंग का बड़ा योगदान है।
  • स्वास्थ्य: कोविड काल में यह देखा गया कि झूठी दवाओं या घरेलू इलाजों ने कितनों की जान खतरे में डाली।

निष्कर्ष:

यह वैश्विक पहल सिर्फ धन देने की योजना नहीं, बल्कि सच्चाई की लड़ाई में एकजुट होने की पुकार है। भारत जैसे देश में जहाँ सोशल मीडिया की पहुँच करोड़ों लोगों तक है, फैक्ट-चेकिंग अब लग्ज़री नहीं बल्कि ज़रूरत बन चुकी है।

इन पहलों से न केवल पत्रकारिता में भरोसा बढ़ेगा, बल्कि आम नागरिक को भी सशक्त और सतर्क बनने में मदद मिलेगी।

By Factchecktimes

T. Yuvraj Singh is a dedicated journalist passionate about delivering the latest news and insightful analysis. With a strong background in media, he aims to engage readers through accurate and thought-provoking stories. When not writing, Yuvraj enjoys reading and exploring global affairs. Follow him for fresh perspectives on current events.

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