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“Fake Doctor Ka Bhandafod MP Me”

FactCheck: MP के दमोह में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने की ऑपरेशन की नौटंकी – जानिए पूरी सच्चाई

कहानी की शुरुआत – विदेशी डॉक्टर की कहानी

“Fake Doctor Ka Bhandafod MP Me” हाल ही में मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। एक अस्पताल – मिशन अस्पताल में एक व्यक्ति ने खुद को ब्रिटेन का कार्डियोलॉजिस्ट बताते हुए कई मरीजों का इलाज किया और कुछ ऑपरेशन तक किए। इस “विदेशी डॉक्टर” ने खुद को नरेंद्र जॉन कैम बताया और दावा किया कि वह लंदन से प्रशिक्षित है, पर सच्चाई इससे बिलकुल अलग थी।

MP के दमोह में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने की ऑपरेशन की नौटंकी – जानिए पूरी सच्चाई
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इस खबर ने जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल होना शुरू किया, वैसे ही लोगों की नजर इसपर गई और पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। लेकिन क्या सच में वह डॉक्टर था? आइए इस खबर का पूरी तरह फैक्ट-चेक करते हैं।

सच्चाई क्या है? – निकला फर्जी डॉक्टर

FactCheckTimes की पड़ताल और स्थानीय प्रशासन की रिपोर्ट्स के अनुसार, तथाकथित “डॉक्टर” का असली नाम नरेंद्र यादव है। वह किसी भी मेडिकल यूनिवर्सिटी से पढ़ा हुआ नहीं है और उसके पास कोई वैध डिग्री या रजिस्ट्रेशन नहीं है।

उसने फर्जी डॉक्यूमेंट्स और झूठे दावों के आधार पर मिशन अस्पताल में खुद को “ब्रिटेन का कार्डियोलॉजिस्ट” बताकर नौकरी पाई। उसने कई मरीजों की ईसीजी, जांच और यहां तक कि ऑपरेशन भी किए।

“Fake Doctor Ka Bhandafod MP Me”

अस्पताल ने नहीं की क्रॉस वेरिफिकेशन

यह बात भी सामने आई कि अस्पताल प्रशासन ने इस डॉक्टर के कागजात की कोई वैरिफिकेशन नहीं की। एक अंग्रेजी नाम और विदेशी लहजे वाले इंग्लिश एक्सेंट ने सबको भ्रमित कर दिया और अस्पताल ने आंख मूंदकर उसे नियुक्त कर लिया। यह लापरवाही कई मरीजों की जान खतरे में डाल सकती थी।

फर्जी नाम, फर्जी डिग्री, फर्जी पहचान

पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने इस व्यक्ति की जांच की और पाया कि:

7 लोगों की मौत का कौन जिम्मेदार?

कुछ महीनों में फेक डॉक्टर द्वारा किए गए ऑपरेशन के बाद 7 मरीजों की मौत हो गई। इनमें से कुछ की पोस्ट-सर्जरी स्थिति तेजी से बिगड़ गई थी।

स्थानीय मीडिया ने पहले ही शक जताया था, लेकिन आधिकारिक कार्रवाई तब हुई जब एक रिटायर डॉक्टर ने प्रशासन को अनाम टिप दी और केस मीडिया तक पहुंचा।

पुलिस कार्रवाई क्या रही?

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नरेन्द्र यादव को IPC Sections 304 (culpable homicide), 419, 420, 467, 468, 471 के तहत गिरफ्तार किया गया।

मिशन अस्पताल का लाइसेंस अस्थायी रूप से निलंबित किया गया।

अस्पताल के 9 अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई।

फेक कैथ लैब का पूरा सेट-अप सील कर दिया गया।

मरीजों के परिवार ने मुआवजे और CBI जांच की मांग की है।

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अस्पताल का लाइसेंस निलंबित – प्रशासन की बड़ी कार्रवाई

घटना सामने आते ही जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत जांच शुरू की। जांच में दोषी पाए जाने के बाद:

डॉक्टर के झूठ और अस्पताल की लापरवाही – दोनों पर कार्रवाई की जा रही है।

कैसे सामने आई सच्चाई?

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इस मामले का खुलासा तब हुआ जब एक मरीज की तबीयत इलाज के बाद और बिगड़ गई। परिवार वालों ने जब डॉक्टर की डिग्री और रजिस्ट्रेशन की मांग की, तो वह जवाब नहीं दे सका। शक होने पर परिवार ने जिला कलेक्टर से शिकायत की और फिर जांच में पूरी सच्चाई सामने आई।

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सोशल मीडिया पर फैला भ्रम – “ब्रिटेन से आया है डॉक्टर”

इस फर्जी डॉक्टर ने अपने प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल किया। उसने फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर पोस्ट डालकर बताया कि “ब्रिटेन से डॉक्टर आ रहे हैं जो हार्ट के मरीजों का मुफ्त इलाज करेंगे”। इससे दर्जनों लोग अस्पताल में पहुंचे और अपनी जान को खतरे में डाल बैठे।

FactCheckTimes की सलाह: ऐसे मामलों से कैसे बचें?

  1. किसी भी डॉक्टर की डिग्री और रजिस्ट्रेशन नंबर की जानकारी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया या राज्य मेडिकल काउंसिल की वेबसाइट पर चेक की जा सकती है।
  2. अंग्रेजी बोलने वाले या विदेशी नाम रखने वाले व्यक्ति पर आंख मूंदकर भरोसा न करें – नाम और भाषा ही योग्यता का प्रमाण नहीं है।
  3. अस्पताल में इलाज से पहले डॉक्टर का आईडी कार्ड, रजिस्ट्रेशन नंबर और अनुभव जांचें, खासकर तब जब मामला सर्जरी या गंभीर इलाज का हो।

फर्जी डॉक्टरों पर सरकार की नजर?

हाल के वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां फर्जी डिग्री वाले व्यक्ति डॉक्टर बनकर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए कई दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं, लेकिन अस्पतालों की लापरवाही अब भी एक बड़ी चिंता का विषय है।

“Fake Doctor Ka Bhandafod MP Me”

निष्कर्ष – एक बड़ा सबक

दमोह का यह मामला हमें यह सिखाता है कि फर्जी खबर और फर्जी डॉक्टर दोनों ही जानलेवा हो सकते हैं। इस व्यक्ति ने सिर्फ अस्पताल ही नहीं, मरीजों और समाज को भी धोखा दिया।

इस केस से सबक लेकर अस्पतालों को अपनी नियुक्ति प्रक्रिया मजबूत करनी चाहिए और आम जनता को भी जागरूक रहना चाहिए।

क्या आपने भी देखा है किसी फर्जी डॉक्टर का मामला?

अगर आपके पास भी किसी फर्जी डॉक्टर, झूठे इलाज या नकली स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी है, तो हमें contact@factchecktimes.com पर लिखें या हमारे सोशल मीडिया पेज पर साझा करें।

सत्य ही सुरक्षा है। फैक्टचेक टाइम्स – आपकी नज़र, आपकी आवाज।

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