हरतालिका तीज का महत्व और पूजा विधि
हरतालिका तीज, जो कि भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का दिन है, इस वर्ष 6 सितंबर 2024 को मनाई जा रही है। यह पर्व भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है और इसका महत्व विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए उपवास करती हैं। इस व्रत का इतिहास और पूजा विधि जानने के लिए आगे पढ़ें।
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष, तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12:21 बजे शुरू होकर 6 सितंबर को दोपहर 3:01 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, हरतालिका तीज आज ही मनाई जाएगी। पूजा का विशेष मुहूर्त सुबह 6:02 से 8:33 बजे तक रहेगा। इस दिन शुक्ल योग और हस्त नक्षत्र भी बन रहे हैं, जो पूजा के लिए शुभ माने जाते हैं।
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हरतालिका तीज पूजन सामग्री
हरतालिका तीज की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- भगवान शिव, देवी पार्वती और उनके पुत्र भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा
- नया पीला वस्त्र
- केले का पत्ता, रोली, जनेऊ, सुपारी
- शमी के पत्ते, बेलपत्र, कलश, अक्षत, दूर्वा, घी, कपूर, दही, गंगाजल
- देवी पार्वती के श्रृंगार के लिए सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, मेहंदी, कुमकुम
हरतालिका तीज की पूजा विधि
- संकल्प और उपवास: प्रातः काल संकल्प लेकर निर्जल उपवास करें। यदि स्वास्थ्य ठीक न हो तो फलाहार भी किया जा सकता है।
- पूजन: सायं काल भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। इस दौरान स्त्रियों को संपूर्ण श्रृंगार भी करना चाहिए।
- श्रृंगार: माता पार्वती को सौभाग्य के सामान अर्पित करें और उनसे मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करें।
- सास को आशीर्वाद: विवाहित स्त्रियों को अपनी सास को सौभाग्य की वस्तुएं देकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
- रात्रि जागरण: रात्रि जागरण करके व्रत का समापन करें।
हरतालिका तीज के विशेष उपाय
- शीघ्र विवाह के लिए: हरतालिका तीज के दिन रामचरितमानस में बालकांड से शिव और पार्वती के विवाह संबंधी श्लोकों का पाठ करें।
- सुखी वैवाहिक जीवन के लिए: इस दिन घर में तुलसी का पौधा लगाएं और रोज सुबह उसकी पूजा करें। इससे वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आएगी।
हरतालिका तीज व्रत कथा
हरतालिका तीज की कथा पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी है। मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। उन्होंने भाद्रपद शुक्ल तृतीया को गहन तपस्या की और भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रभावित होकर उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। इसी कथा के आधार पर हरतालिका तीज का व्रत मनाया जाता है।
निष्कर्ष
हरतालिका तीज का व्रत न केवल पति की लंबी उम्र के लिए होता है, बल्कि यह वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि लाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और विशेष उपायों का पालन कर महिलाएं अपने जीवन को सुखमय बना सकती हैं।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की गारंटी के बिना प्रदान की गई है। उचित सलाह के लिए संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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