बहराइच में आदमखोर भेड़िया पकड़ाया: अब तक 10 लोगों की मौत
भेड़िया का आतंक: स्थिति की गंभीरता
बहराइच जिले के कछार इलाके में आदमखोर भेड़िया का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले कई महीनों से इस भेड़िया ने गांवों में लगातार हमले किए हैं, जिससे अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है और 37 लोग घायल हुए हैं। स्थिति को देखते हुए वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने प्रभावी कदम उठाने की कोशिशें शुरू की हैं, लेकिन भेड़िया की चालाकी के आगे अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है।
वन विभाग की लगातार कोशिशें
वन विभाग ने भेड़िया को पकड़ने के लिए कई प्रयास किए हैं। अब तक कुल पांच भेड़िए पकड़े जा चुके हैं, जिनमें दो मादा और तीन नर भेड़िए शामिल हैं। हाल ही में मंगलवार की सुबह एक और मादा भेड़िया को हरिबक्स पुरवा के निकट वन विभाग के पिंजरे में कैद किया गया। इसके अलावा, चार पिंजरे, आठ थर्मोसेंसर कैमरे, और थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है। बावजूद इसके, अन्य भेड़िए पकड़ में नहीं आ पा रहे हैं।
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सर्च ऑपरेशन और स्थानीय प्रयास
वन विभाग ने भेड़िया को पकड़ने के लिए 25 टीमें गठित की हैं और 200 पुलिस व पीएसी जवानों को सुरक्षा में तैनात किया गया है। इसके अतिरिक्त, पंचायत और विकास विभाग की 110 टीमें रात के समय निगरानी करती हैं। स्थानीय ग्रामीण भी इस मामले में सक्रिय रूप से शामिल हैं और कई बार खुद ही भेड़िया के मांद की खोज में निकल पड़े हैं।
हाल ही में सिंकदरपुर गांव के ग्रामीणों ने पीपल के एक पेड़ की जड़ों में भेड़िया के मांद की आशंका जताई। वन विभाग ने इस सूचना के बाद मौके पर जाकर जांच की, लेकिन भेड़िया की स्थिति की पुष्टि नहीं हो सकी।
प्रशासनिक कदम और सरकारी हस्तक्षेप
भेड़िया के आतंक को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को पहले राज्य घोषित किया है जिसने मानव-वन्य जीव संघर्ष को आपदा घोषित किया है। इसके अलावा, वन मंत्री डा. अरुण सक्सेना और अन्य उच्च अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और अधिक प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
ग्रामीणों की सुरक्षा और निगरानी
भेड़िया के हमलों से बचने के लिए गांवों में सुरक्षा उपायों को बढ़ा दिया गया है। गांवों में गाड़ियों के सायरन और लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को सतर्क किया जाता है। प्रतिदिन 400 गोले पटाखे दागे जाते हैं ताकि भेड़िया को आबादी की ओर न आने दिया जा सके। बावजूद इसके, भेड़िया की चालाकी के कारण स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है।
भविष्य की रणनीतियां और समाधान
भेड़िया की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग ने गांवों को तीन सेक्टरों में बांटा है और प्रत्येक सेक्टर में निगरानी बढ़ा दी है। इसके साथ ही, भेड़िया की लोकेशन की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए लगातार सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं।
समाप्ति में, बहराइच में आदमखोर भेड़िया के खतरे को देखते हुए प्रशासन, वन विभाग, और स्थानीय समुदाय की संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। जब तक भेड़िया पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं आ जाता, तब तक सुरक्षा और निगरानी का यह अभियान जारी रहेगा।
Indian wolf भारतीय भेड़िया
भारतीय भेड़िया (Canis lupus pallipes) ग्रे वुल्फ की एक उपप्रजाति है, जो दक्षिण-पश्चिम एशिया से लेकर भारतीय उपमहाद्वीप तक फैली हुई है। यह हिमालयन भेड़िया और अरबी भेड़िया के बीच आकार में मध्यवर्ती है और गर्म वातावरण में रहने के कारण इसके पास पूर्ववर्ती भेड़िया की तरह की आलीशान शीतकालीन कोट नहीं होती। इस उपप्रजाति के भीतर, “भारतीय मैदानी भेड़िया” सभी मौजूदा Canis lupus के बीच जीन संबंधी रूप से सबसे पुराना है, सिवाय हिमालयन भेड़िया के, जिसे अलग प्रजातियों के रूप में प्रस्तावित किया गया है। भारतीय भेड़िया छोटे पैक में घूमती है और अन्य ग्रे वुल्फ की किस्मों की तुलना में कम आवाज करती है। इसे चालाक होने की ख्याति प्राप्त है। भारतीय भेड़िया विश्व के सबसे संकटग्रस्त ग्रे वुल्फ जनसंख्याओं में से एक है।
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